Majalis-e-Azeem 23 To 25 Dec. 2016
Organised By- Allama Syed Sibte Husain Naqvi Foundation Mufti House Jaunpur
इल्मुल उलमा सुल्तानुलमुजतहेदीन हज़रत अयतुल्लाहुल उज़मा सैयद सिब्ते हुसैन नक़वी आलल्लाह मक़ामह की जमूलसेफात शख़्सियत रुशदे हेदायत का मीनारह बनी है। हज़रत की वेलदात सन 1862 ई.( 1284 हिजरी ) में हुई। आपके वालिद का नाम मौलवी सैयद रमज़ान अली नक़वी था। इनके खानवादे में उलमा और मंसब की कमी नही थी। आपने 17 साल की उम्र में फ़िक़्ह उसूल मंतिक़ व फ़लसफ़े की वरस ख़त्म करके ताजुल उलमा मौलाना सैयद अली नक़ी मुजतहिद से एजाज़ा इज्तेहाद हासिल किया 1308 हिजरी में मुल्के ईराक़ का सफर किया और 6 साल नजफे अशरफ में रह कर दरसे ख़ारजी में शरीक रहे । 2 साल तक करबलाये मोअल्ला और 6 साल नजफे अशरफ में इज्तेहाद के दर्स ख़ारजी में शिरकत फरमायी, 6 बाद कर्बला में दर्स ख़ारजी दे कर वतन वापस आ गये ।
हज़रत जौनपुर में 1908 ई. से क़याम रहा । नमाज़े जुमा के फ़राएज़ को अंजाम दिया। जौनपुर में उलूमे अहलेबैत का चराग़ रौशन किया कितने ही दबे कुचले तबक़ात के लोगो को दायरये शीयत में लाये परचमे इस्लाम बलन्द किया । आपका इंतेक़ाल 5 मार्च 1952 को जौनपुर में हुआ । उमदतुल उलमा मौलाना सौयद कल्बे हुसैन (कब्बन साहब) मरहूम इमामे जुमा लखनऊ ने , नमाज़े जनाज़ा पढ़ायी जिसमे हज़ारो लोग शामिल हुए थे । इनकी मिट्टी जौनपुर सदर इमामबारगाह में दफ़्न की गयी। आपने सारी ज़िन्दगी क़ौम और इस्लाम की खिदमत में गुज़ार दी और शीराज़े हिन्द जौनपुर की खुशकिस्मती थी के ऐसी शख़्सियत हमारे दरमियान आयी थी।
कलम – मो. दानिश
स्रोत – असलम नक़वी